DSC and Building Construction Permission

 बिल्डिंग परमिशन में डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट (D.S.C.) का महत्व:


1. पहचान: बिल्डिंग परमिशन में डीएससी का उपयोग अनुमति देने वाले अधिकारी या विभाग के अधिकारियों की पहचान सत्यापित करने में मदद करता है।


2. कानूनी मान्यता: डीएससी भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के अनुसार कानूनी मान्यता रखता है, जिससे डिजिटल रूप से साइन किए गए दस्तावेज और परमिशन अधिकारियों द्वारा स्वीकार्य और प्राधिकृत होते हैं।

डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट (D.S.C.) का उदाहरण

3. असलीपन की पुष्टि: डीएससी से नकली या अवैध डॉक्यूमेंट्स के बनाए जाने की संभावना को कम करके डॉक्यूमेंट्स की असलीपन की पुष्टि करता है।


4. सुरक्षा: डिजिटल सिग्नेचर और एनक्रिप्शन तकनीक का उपयोग करके डीएससी वास्तविक सिग्नेचर की तुलना में अधिक सुरक्षित होता है। इससे अनधिकृत पहचान और दस्तावेजों में बदलाव रोका जा सकता है।


5. समय-चिह्नन: डीएससी के साथ समय-चिह्नन करने से पता चलता है कि कब और किसी व्यक्ति ने डॉक्यूमेंट को साइन किया है, जो न्यायिक संदर्भों में महत्वपूर्ण होता है।


6. व्यवसायिक परिप्रेक्ष्य: बिल्डिंग परमिशन जैसे व्यवसायिक प्रक्रियाएं जो डीएससी के द्वारा नहीं होती हैं, उनमें विश्वास कम होता है और समय-ग्राहकी खो सकती है।

7. शासन और नियंत्रण के अनुसार: कई सरकारी विभाग और नियंत्रण संगठन डीएससी का उपयोग अनुमति और परमिशन जारी करने के लिए मांग करते हैं।


8. सरलीकरण: डीएससी के उपयोग से डिजिटल रूप से दस्तावेजों को साइन करने से परमिशन प्रक्रिया में सरलीकरण होता है।


9. पेपरलेस काम: डीएससी से दस्तावेजों के साइन करने से परमिशन प्रक्रिया में कागजात की आवश्यकता कम होती है।


10. स्थिरता: डीएससी का उपयोग दस्तावेजों की सिग्नेचर प्रक्रिया में स्थिरता और विश्वास का भरोसा देता है, जो लोगों को अपने संबंधित प्रक्रियाओं को स्वीकार्य बनाने में मदद करता है।

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